कर्नाटक CM सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार, 27 सितंबर को मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण घोटाले मामले में FIR दर्ज की है। एफआईआर में सिद्धारमैया को आरोपी 1, उनकी पत्नी पार्वती को आरोपी 2 और बामैदा मल्लिकार्जुनस्वामी को आरोपी 3 के रूप में नामित किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण ने पार्वती के स्वामित्व वाली जमीन का एक टुकड़ा अधिग्रहित किया था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान सिद्धारमैया द्वारा मुडा में अनियमितताओं और अधिकारों के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं।
गवर्नर थावर चंद गहलोत ने दिए थे जांच के आदेश
दरअसल, कर्नाटक गवर्नर थावर चंद गहलोत ने 16 अगस्त को इस घोटाले में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। सिद्धारमैया इसके खिलाफ हाईकोर्ट गए, लेकिन 24 सितंबर को अदालत ने भी कहा कि जांच का आदेश सही है, ये होनी चाहिए। सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों का नाम MUDA लैंड स्कैम में आया है। एक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा ने आरोप लगाया था कि CM ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर 14 महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल किया।
1992 में हुई थी विवाद की शुरुआत
मुख्यमंत्री की परेशानियों को और बढ़ाते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में घोटाले की जांच के लिए राज्यपाल की मंजूरी के खिलाफ सिद्धारमैया की चुनौती को खारिज कर दिया। सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को MUDA द्वारा 14 साइटों के आवंटन में अनियमितताओं के आरोपों के बाद जांच को मंजूरी दी गई थी। बता दें कि विवाद की शुरुआत 1992 में हुई थी जब MUDA ने आवासीय विकास के लिए भूमि अधिग्रहित की थी, जिसे बाद में 1998 में किसानों को वापस कर दिया गया था, जिससे यह कृषि भूमि बन गई। विवाद की जड़ 2004 में तब खुली जब पार्वती के भाई बीएम मल्लिकार्जुन ने इस भूमि का एक बड़ा हिस्सा खरीद लिया।
Author: Mukul Dwivedi
I graduated From the University of Allahabad and PG diploma in Mass communication From Government Polytechnic Lucknow. After study worked with Bharat samachar as Trainee Producer. Currently I am working With Ekal Bharat as a Producer.












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