Manoj Kumar Passes Away: एक्टर मनोज कुमार का शुक्रवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया। वे 87 साल के थे। जानकारी के मुताबिक, वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इसी कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे विशेष रूप से अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए जाने जाते थे। उन्हें भारत कुमार के नाम से भी जाना जाता था। उपकार, पूरब-पश्चिम, क्रांति, रोटी-कपड़ा और मकान उनकी बेहद कामयाब फिल्में रहीं। अभिनेता मनोज कुमार के निधन से पूरे भारतवर्ष में शोक की लहर है। फिल्म जगत में सन्नाटा पसर गया है।उनके निधन के बाद तमाम दिग्गज हस्तियों जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि दी है। मनोज कुमार ने कई दशकों तक भारतीय सिनेमा में अपना योगदान दिया है जिसे हमेशा याद रखा जाएगा।
मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी
भारतीय अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी है। लेकिन बॉलीवुड में उन्हें मनोज कुमार के नाम से पहचान मिली। 13 जुलाई, 1987 को पाकिस्तान के एबटाबाद में जन्मे मनोज कुमार को देश में ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाता है। मनोज ने अपने किरदारों में सादगी और गहराई लाई, जो दर्शकों के दिलों को छू गई. 1960 और 70 के दशक में उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी।
पद्मश्री, दादा साहेब फाल्के सहित कई अवार्ड जीते
मनोज कुमार को 7 फिल्म फेयर पुरस्कार मिले थे। पहला फिल्म फेयर 1968 में फिल्म उपकार के लिए मिला था। उपकार ने बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के लिए चार फिल्म फेयर जीते। 1992 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2016 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया। फिल्म क्रांति का गाना आज भी बच्चे-बच्चे की जुबान पर है. जिंदगी की न टूटे लड़ी, प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी।
आपातकाल का विरोध, इंदिरा से पंगा
आपातकाल की घोषणा के बाद, मनोज कुमार ने इसे खुलकर विरोध किया, जबकि उस वक्त कई फिल्मी सितारे इसके पक्ष में खड़े थे। मनोज का यह विरोध केवल उनके व्यक्तिगत विचारों तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके विरोध के कारण उनकी फिल्मों पर भी असर पड़ा. उनकी फिल्म ‘दस नंबरी’ को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बैन कर दिया, और बाद में उनकी फिल्म ‘शोर’ का भी कुछ ऐसा ही हश्र हुआ।
लाल बहादुर के कहने पर उपकार बनाई
1965 में मनोज कुमार देशभक्ति पर बनी फिल्म शहीद में स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के रोल में नजर आए थे। फिल्म जबरदस्त हिट रही और इसके गाने ‘ऐ वतन, ऐ वतन हमको तेरी कसम’, ‘सरफरोशी की तमन्ना’ और ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ काफी पसंद किए गए थे। ये फिल्म लाल बहादुर शास्त्री को बेहद पसंद आई। शास्त्री जी ने नारा था- जय जवान, जय किसान। शास्त्री जी ने मनोज को इस नारे पर फिल्म बनाने की सलाह दी। इस पर मनोज ने फिल्म उपकार (1967) बनानी शुरू कर दी, इस फिल्म से उन्होंने बतौर डायरेक्टर करियर की दूसरी पारी शुरू की। आगे उन्होंने पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान जैसी देशभक्ति पर कई फिल्में बनाईं।
Author: Mukul Dwivedi
I graduated From the University of Allahabad and PG diploma in Mass communication From Government Polytechnic Lucknow. After study worked with Bharat samachar as Trainee Producer. Currently I am working With Ekal Bharat as a Producer.












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