4 अक्टूबर यानी शुक्रवार को शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में मां दुर्गा के इस स्वरूप को भक्तों के लिए अनंत फलदायी बताया गया है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से जीवन में त्याग, सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनके इसी तप के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में स्थिरता, आत्मिक विकास और ज्ञान की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना करने से भक्तों को सफलता और समर्पण की भावना मिलती है।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा तिथि और मुहूर्त
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने हर कार्य में जीत हासिल होती है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने वाला जातक सर्वत्र विजयी होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार, नवरात्रि की द्वितीया तिथि की शुरुआत 4 अक्टूबर 02 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगी और तिथि का समापन 5 अक्टूबर 05 बजकर 30 मिनट पर होगा. मां ब्रहमचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा किस विधि से करनी चाहिए?
मां ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं। वे तपस्या और ब्रह्मचर्य का प्रतीक हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा की जाती है। उनकी भक्ति और समर्पण सभी भक्तों के लिए प्रेरणा स्रोत है। वे ज्ञान और विवेक की देवी हैं, जो अपने भक्तों को सही मार्ग दिखाती हैं। तो आइए जानते हैं कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करनी है
- सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करें।
- मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
- मूर्ति के सामने आसन बिछाएं और दीपक जलाएं।
- मां को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- मां को फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
- मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें।
- मां ब्रह्मचारिणी को पीले या सफेद रंग के फूल बहुत प्रिय हैं।
- मन को एकाग्र करके पूजा करें।
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद फूल बेहद प्रिय
मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से भक्तों को मानसिक और आत्मिक शक्ति मिलती है। सफेद रंग शुद्धता, शांति और तपस्या का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और ब्रह्मचर्य का प्रतीक हैं, इसलिए सफेद रंग के फूल उन्हें बेहद प्रिय हैं। पीला रंग ज्ञान, बुद्धि और उल्लास का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान और विवेक की देवी हैं, इसलिए पीले रंग के फूल भी उन्हें प्रिय हैं।
मां ब्रह्माचारिणी पूजा मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम।।
- दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं ये भोग
मां ब्रह्मचारिणी को तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। उनके दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। मां ब्रह्मचारिणी को दूध, चीनी और पंचामृत का भोग लगाना काफी शुभ बताया गया है। ब्रह्मचारिणी मां को भोग में चीनी और गुड़ से बनी चीजें चढ़ाई जाती हैं। ऐसा करने से माता रानी का प्रसन्न होती है और हर मनोकामना पूरी करती हैं।
Author: Mukul Dwivedi
I graduated From the University of Allahabad and PG diploma in Mass communication From Government Polytechnic Lucknow. After study worked with Bharat samachar as Trainee Producer. Currently I am working With Ekal Bharat as a Producer.













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