‘PAK के अफसरों से संपर्क, बांग्लादेश भी गए…’, सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर लद्दाख DGP का बड़ा खुलासा
लद्दाख में पिछले कई दिनों से जारी उथल-पुथल ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद राज्य में तनाव और गहराता दिख रहा है। इस बीच लद्दाख के DGP ने एक बड़ा खुलासा करते हुए दावा किया है कि वांगचुक का संपर्क पाकिस्तान के अधिकारियों से रहा है और वह बांग्लादेश भी जा चुके हैं।
यह आरोप बेहद गंभीर हैं और इसने लद्दाख की राजनीति और केंद्र सरकार के साथ चल रही बातचीत को और जटिल बना दिया है।

क्या हुआ और कब हुआ?
लद्दाख में लंबे समय से पूर्ण राज्य का दर्जा और जनजातीय अधिकारों की गारंटी की मांग उठ रही थी। इसी मांग को लेकर सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू की थी। शुरुआत में यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन जल्द ही कई असामाजिक तत्व इसमें शामिल हो गए।
डीजीपी के मुताबिक, केंद्र और लद्दाख प्रतिनिधियों के बीच 6 अक्टूबर को उच्च स्तरीय बैठक तय थी। इसके अलावा 25-26 सितंबर को प्रारंभिक बैठकों की तारीख भी तय कर ली गई थी। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसे मानने के बजाय आंदोलन को तेज करने की कोशिश की।
क्यों हुई गिरफ्तारी?
पुलिस का कहना है कि आंदोलन के मंच को कुछ ऐसे संगठनों और लोगों ने हाइजैक कर लिया, जिनका उद्देश्य सिर्फ सरकार के खिलाफ माहौल बनाना था। जांच में सामने आया कि वांगचुक का संपर्क पाकिस्तान के अधिकारियों से रहा है और वह बांग्लादेश की यात्रा भी कर चुके हैं।
यहां तक कि पुलिस ने आरोप लगाया कि उनके मंच का इस्तेमाल विदेशी एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए किया गया। इसी आधार पर प्रशासन ने उन्हें हिरासत में लिया।
लद्दाख DGP का बयान
लद्दाख DGP ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“यह सिर्फ एक सामाजिक आंदोलन नहीं था, बल्कि इसके पीछे बाहरी तत्व भी सक्रिय थे। हमारे पास पुख्ता सबूत हैं कि सोनम वांगचुक का संपर्क पाकिस्तान के अफसरों से रहा है और वह हाल ही में बांग्लादेश भी गए थे। भूख हड़ताल का मंच इन तत्वों ने सरकार विरोधी माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल किया।”
कब और कैसे भड़की हिंसा?
शुरुआत में यह आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन धीरे-धीरे यह हिंसा में तब्दील हो गया।
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लेह में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई।
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उपद्रवियों ने CRPF की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।
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बीजेपी दफ्तर और हिल काउंसिल पर पथराव भी किया गया।
स्थिति बेकाबू होने पर पुलिस को फायरिंग तक करनी पड़ी, जिसमें कुछ लोगों की मौत हुई।
राजनीतिक और सामाजिक असर
सोनम वांगचुक लद्दाख में युवाओं के बीच एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं। उनकी गिरफ्तारी से स्थानीय लोगों में नाराजगी और ज्यादा बढ़ गई है। विपक्षी दल इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा मान रही है।
सोशल मीडिया पर भी यह मामला जोर-शोर से ट्रेंड कर रहा है। लोग #SonamWangchuk, #LadakhProtest और #SaveLadakh जैसे हैशटैग इस्तेमाल कर रहे हैं।
आगे क्या?
केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन हिंसा और विदेशी तत्वों की दखल को किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 6 अक्टूबर की बैठक अब बेहद अहम मानी जा रही है।
अगर वांगचुक और उनके समर्थक हिंसक रास्ता छोड़कर शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के लिए तैयार होते हैं, तो लद्दाख के मुद्दे का हल निकल सकता है। लेकिन अगर हालात बिगड़े तो सरकार और ज्यादा सख्ती बरत सकती है।
नतीजा
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और DGP के आरोपों ने लद्दाख की राजनीति को हिला कर रख दिया है। अब सवाल यह है कि क्या आंदोलन वाकई सिर्फ स्थानीय अधिकारों के लिए था या इसके पीछे कोई बड़ा विदेशी एजेंडा छिपा था? आने वाले हफ्तों में इस मामले पर और खुलासे हो सकते हैं।
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