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UN में पाकिस्तान की फिर किरकिरी: BLA और मजीद ब्रिगेड पर बैन लगाने की मांग फिसली

UN में पाकिस्तान की फिर किरकिरी

UN में पाकिस्तान की फिर किरकिरी: BLA और मजीद ब्रिगेड पर बैन लगाने की मांग फिसली

हाल ही में पाकिस्तान और चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) को एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और मजीद ब्रिगेड को UN की आतंकवादी सूची में शामिल करने का अनुरोध किया गया। लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इस प्रस्ताव को तकनीकी कारणों से ठुकरा दिया।

कब हुआ और कहाँ?

  • यह घटना सितंबर 2025 में सामने आई।

  • स्थान है संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद सत्र — जहाँ सदस्य देशों को प्रस्ताव पेश किए जाते हैं।


क्यों किया गया प्रस्ताव?

पाकिस्तान और चीन का दावा है कि BLA और मजीद ब्रिगेड ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं जो सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा हैं। उनकी मांग थी कि उन्हें आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए ताकि:

  1. उनके पास सुरक्षा परिषद की 1267 संहिता (UN 1267 sanctions regime) के तहत पाबंदी और आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकें।

  2. उनकी वित्तीकरण और समर्थन स्रोतों को रिकॉर्ड पर लाया जाए।

  3. क्षेत्र में उनके आतंकी हमलों या हिंसा को कम करने का दबाव बनाया जाए।


अमेरिकी, ब्रिटेन और फ्रांस ने प्रस्ताव क्यों रोका?

इन देशों ने प्रस्ताव को पूरी तरह मंजूर नहीं किया। कुछ ख़ास बिंदु ये हैं:

  • उन्हें लगा कि इस प्रस्ताव में पर्याप्त साक्ष्य नहीं पेश किए गए हैं ये दिखाने के लिए कि BLA और मजीद ब्रिगेड सीधे अल-कायदा या ISIS से जुड़े हुए हैं, जैसा कि UN 1267 framework में अपेक्षित होता है।

  • “तकनीकी होल्ड” लगाने की वजह यह है कि UN प्रक्रिया में वेरिफिकेशन, दस्तावेजी जांच, और सदस्य देशों की सहमति ज़रूरी है। ये तीनों देशों ने कहा कि अभी वो स्तर पूरा नहीं हुआ है।


क्या है UN 1267 संहिता?

UN 1267 regime वो नियम है जिसके तहत:

  • आतंकवादी संगठनों या व्यक्तियों को सूचीबद्ध किया जाता है, जिनका संबंध अल-कायदा या ISIS जैसे समूहों से हो।

  • सूचीबद्ध होने पर उन पर आर्थिक प्रतिबंध लगते हैं — बैंकिंग नेटवर्क बंद करना, यात्रा प्रतिबंध, और सदस्य राष्ट्रों को उनपर कार्रवाई करने का अधिकार मिलता है।

अगर कोई संगठन इस सूची में आता है तो उसे “terror listing” मिलती है, जिससे उस संगठन की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियाँ बहुत सीमित हो जाती हैं।


क्या होता है “बैन लगाने की कोशिश नाकाम” से?

यह मतलब नहीं कि BLA और मजीद ब्रिगेड अब सुरक्षित हो गए हैं या उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती। इसका मतलब है:

  • अभी उन्हें UN के उस विशेष तरह के प्रतिबंधों वाले “आतंकवादी सूची” में शामिल नहीं किया गया।

  • पाकिस्तान या अन्य देशों के पास अभी भी अन्य तरीके हो सकते हैं — राष्ट्रीय कानून, FATF, या अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत — ताकि उन पर कार्रवाई हो सके।

  • राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा कि दस्तावेजों और भरोसे के स्तर को मजबूती से पेश किया जाए।


क्या असर हो सकता है?

यहां कुछ संभावित नतीजे हैं:

असर विवरण
राजनैतिक दबाव पाकिस्तान को यह दिखाना होगा कि उसके पास ठोस सबूत हैं। चीन को भी अपने बचाव की स्थिति बनाने की ज़रूरत पड़ेगी।
स्तरीय जांच की मांग अंतरराष्ट्रीय समुदाय अधिक पारदर्शिता और दस्तावेजों की मांग कर सकता है।
आतंकवाद पर वैश्विक मानदंड लोग देखेंगे कि किस हद तक संगठन अल-कायदा/ISIS से जुड़े हों या नहीं — UN सूची में शामिल होना सिर्फ दावा नहीं, मजबूत जांच है।
मानवाधिकार और सुरक्षा मुद्दे BLA के कवरेज से मुद्दे जैसे बलूचिस्तान में हत्या, जबरदस्ती गायब कर दिए जाने की घटनाएँ, आदि फिर सार्वजनिक बहस में आ सकते हैं।

संक्षिप्त में, पाकिस्तान और चीन की कोशिश थी कि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और मजीद ब्रिगेड को UN की आतंकवादी सूची में लाया जाए, शायद आतंकवाद-रोधी दबाव बनाने के लिए। लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, और फ्रांस जैसे देशों ने कहा कि अभी प्रस्ताव में पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं, इसीलिए उन्होंने इसे टाल दिया।

यह मामला सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून, आतंकवाद से मुकाबला करने के तरीके, और मानवाधिकारों के बीच संतुलन की परख का भी है।

 

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Author: newsviewss

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