दिल्ली , दिल्ली के मोहल्ले और पानी की किल्लत और राजधानी में पानी की किल्लत पर राजनीति हर साल एक जैसी ही रहती है। टैंकरों के पीछे बर्तन, ड्रम लेकर भागते लोग दिल्ली की बदहाली और अच्छे से बयां करते हैं। दिल्लीवासियों को पानी मिले या ना मिले लेकिन यहां की सियासत फ्री पानी , स्वच्छ पानी पीकर डकार मार रहा है। गर्मी से लोग बेहाल है, पानी के लिए परेशान हैं पर जिम्मेदार लोग बेखबर हैं चुनावी रैलियों में व्यस्त हैं। ऐसा नहीं है कि दिल्ली में पहली बार पानी की किल्लत सामने आई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जल संकट से जूझ रहे दुनिया के 20 सबसे बड़े शहरों में से पांच भारत में हैं? वहीं, इस सूची में दिल्ली दूसरे स्थान पर है और ये आंकड़े आज से पांच साल पहले यानी 2019 की हैं। यानी देश की राष्ट्रीय राजधानी लंबे समय से जल संकट से जूझ रही है। देश की राजधानी में जलसंकट क्यों हैं और यह खत्म क्यों नहीं हो रहा आइए जानते हैं….
.बढ़ती आबादी, बढ़ती गर्मी और घटता जलस्तर
दिल्ली जल संकट के कई कारण हैं….बढ़ती आबादी, बढ़ती गर्मी और दिल्ली की जीवनदायिनि यमुना का घटता वाटर लेवल…इसके अलावा दिल्ली पानी के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है…साथ ही दिल्ली का अपना कोई जल स्रोत नहीं है..यही वजह है कि इस भीषण गर्मी में दिल्लीवासी पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार इस साल दिल्ली आवश्यकता से 32.1 करोड़ गैलन प्रति दिन पानी की कमी से जूझ रहा है। दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से यमुना का जल स्तर कम होना शुरू हो गया है. दिल्ली के लोगों की प्यास बुझाने वाली यमुना आज खुद पानी को तरस रही है. यमुना नदी में पानी स्तर बेहद निचले स्तर पर नजर आ रहा है.यमुना नदी दिल्ली-एनसीआर की जीवन रेखा है. इसने दिल्ली को बसाया और विकसित किया लेकिन आज वही यमुना पानी के लिए तरस रही है
पड़ोसी राज्यों पर निर्भरता, आबादी के मुकाबले सप्लाई कम
दिल्ली शहर अपनी पीने के पानी की बड़ी मांग को पूरा करने के लिए काफी हद तक पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। गर्मी के कारण इस वक्त राजधानी में पानी की मांग बढ़ गई है पर दिल्लीवालों की प्यास पूरी तरह बुझा पाने की पूरी तैयारी पहले से नहीं थी। पहले से ही आशंका जताई जा रही थी कि इस बार भी गर्मी में दिल्ली के लोगों की प्यास बुझने वाली नहीं है, क्योंकि राजधानी में जितनी आबादी है, उसके मुकाबले सप्लाई पहले से काफी कम है। दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया है कि इस साल एक मई से ही हरियाणा ने यमुना में दिल्ली के हिस्से का पानी रोक दिया। इसके कारण जलस्तर घट गया है। दिल्ली को पानी की सप्लाई वजीराबाद से होती है, जहां पिछले साल यानी 2023 के अप्रैल, मई और जून महीने में जलस्तर 674.5 फीट दर्ज किया गया था।
दिल्ली सरकार ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
राजधानी में पानी की सप्लाई का जिम्मा दिल्ली जल बोर्ड के पास है। गर्मी से पहले ही पानी की मांग और सप्लाई में कमी की देखते हुए जल बोर्ड ने 587 ट्यूबवेल लगाने की योजना बनाई थी, जिससे किल्लत दूर की जा सके। इस योजना के पहले चरण में राजधानी के कुछ इलाकों में ट्यूबवेल लगाए भी जा चुके हैं, जिनसे 19 एमजीडी पानी मिल रहा है। फिलहाल जब राजधानी में जलसंकट गहराया और लोगों ने त्राहिमाम किया तो मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार 10 साल से इस समस्या के लिए हरियाणा को कोस रही है. इस बार आम आदमी पार्टी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर तीन राज्यों से उसे पानी दिलाने की मांग की है।
Author: Mukul Dwivedi
I graduated From the University of Allahabad and PG diploma in Mass communication From Government Polytechnic Lucknow. After study worked with Bharat samachar as Trainee Producer. Currently I am working With Ekal Bharat as a Producer.












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